मानेसर,
30 अक्तूबर 2012. सरकार की जमीन अधिग्रहण नीतियों का विरोध करने के लिए
हरियाणा के किसानों ने आज मानेसर के न्यारम साध्य आश्रम में एक किसान
महापंचायत बुलाई थी. इस महापंचायत में किसानों को समर्थन देने इंडिया
अगेंस्ट करप्शन (आईएसी) के वरिष्ठ कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल, प्रशांत
भूषण, योगेंद्र यादव, मनीष सिसोदिया, गोपाल राय, दिनेश वाघेला भी
पहुंचे.
किसान
महापंचायत में हरियाणा के सोनीपत, रोहतक, फतेहाबाद, भिवानी, फरीदाबाद,
मेवात और गुडगांव के किसान संगठनों ने शिरकत की. ये किसान हरियाणा शहरी
विकास प्राधिकरण (हुडा) और हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं आधारभूत संरचना
विकास निगम लिमिटेड (एचएसआईआईडीसी) द्वारा किसानों की ज़मीनें जबरदस्ती
अधिग्रहित किए जाने का विरोध करने के लिए जुटे थे.
किसानों को संबोधित करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा, “जब
से हमने रॉबर्ट वाड्रा के मामले का खुलासा किया है पूरे प्रदेश से किसान
आकर हमें अपनी परेशानियां बता रहे हैं. जमीनें हड़पने के लिए सरकार तरह-तरह
के नोटिस भेजकर किसानों को डरा रही है. हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर
सिंह हुडडा जिस गति
से खेती की जमीनों का लैंड यूज बदल रहे हैं उसे देखकर तो ऐसा लगता है जैसे
वह प्रदेश के प्रोपर्टी डीलरों के लिए काम कर रहे हैं.”
किसानों
ने बताया कि उनकी करोड़ों की जमीनों के मुआवजा के तौर पर केवल पांच सात
लाख रुपए दिए जा रहे हैं. रिलायंस को एसईजेड बनाने के लिए दी गई जमीन पर
काम खत्म करने की समय अवधि जून 2012 में खत्म हो गई लेकिन अब तक कोई काम
शुरू नहीं हुआ है. सरकार वह जमीन किसानों को लौटाने की बजाए व्यवसायिक
उद्देश्यों के लिए औद्योगिक घरानों को देने की योजना बना रही
है.
अरविंद
केजरीवाल ने किसानों से एकजुट होने का आह्वान किया. किसानों की जमीनों का
अधिग्रहण बिना ग्राम सभा की अनुमति के किसी भी सूरत में नहीं होना चाहिए.
अरविंद केजरीवाल ने कहा, “किसानों की जमीनें हर हाल में वापस किसानों को मिलनी चाहिए. इसके लिए किसानों को एकजुट होकर लड़ना होगा. मैं उनकी
लड़ाई में हर कदम पर साथ खड़ा मिलूंगा.”
किसान
महापंचायत में शामिल किसानों ने बताया कि सरकार अधिग्रहण कानूनों का सहारा
लेकर किसानों की तीन फसली जमीनें भी उद्योगों और रिहायशी प्रोजेक्ट के लिए
छीन रही है जबकि कायदे से केवल बंजर जमीनों का अधिग्रहण इस कार्य के लिए
होना चाहिए. किसानों की पीड़ा पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए प्रशांत
भूषण ने कहा, “यह
देश का दुर्भाग्य है कि प्राकृतिक संसाधनों की लूट में अब चुनी हुई
सरकारें ही शामिल हो गई हैं. देश का आम आदमी और किसान सरकारों की
प्राथमिकता में नहीं है. कानून देश की जनता की सुविधाओं का ख्याल करते हुए
नहीं बल्कि उद्योग घरानों को फायदे पहुंचाने के लिए तैयार किए जाते हैं.”
प्रशांत
भूषण ने व्यवस्था द्वारा संचालित इस लूट का विरोध करने के लिए किसानों को
व्यवस्था परिवर्तन के संघर्ष में शामिल होने का आह्वान किया. जमीनों के
अधिग्रहण के लिए राष्ट्रहित के खोखले तर्क की तीखी आलोचना करते हुए
योगेंद्र यादव ने सरकार को चुनौती दी कि वह पहले देश के बड़े-बड़े
उद्योगपतियों औऱ पूंजीपतियों की संपत्तियों को अधिग्रहित करके
दिखाए.
योगेंद्र यादव ने खेती-किसानी की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “सरकारों
के पास शहरीकरण, औद्योगिकीकरण से लेकर हर चीज के लिए योजना है लेकिन
किसानों के कल्याण के लिए कोई योजना नहीं. सरकारी मशीनरियां किसान को मजूदर
बनाने के लिए पूरा जोर लगा रही हैं”
इस
महापंचायत में शामिल किसानों ने एकसुर में सरकार की भूमि अधिग्रहण नीतियों
का विरोध करने की बात कही. किसानों को पूरे समर्थन की घोषणा करते हुए मनीष
सिसोदिया ने कहा, “अगर किसानों की ज़मीनें छीनकर केवल मॉल बनने लगेंगे तो देश का पेट कैसे भरेगा?”
मनीष सिसोदिया द्वारा व्यक्त चिंता का समर्थन करते हुए गोपाल राय ने कहा, “ यूपी
के भट्टा परसौल के किसानों के दर्द पर घड़ियाली आंसू बहाने के लिए राहुल
गांधी चले जाते हैं लेकिन हरियाणा में उनके बहनोई और उनकी पार्टी की सरकार
किसानों की
जमीनें लूट रही है इस पर वह चुप क्यों हैं?”
किसान
महापंचायत में हरियाणा के भारतीय किसान युनियन(बीकेयू) और संपूर्ण क्रांति
मंच के सैकड़ों कार्यकर्ता भी शामिल हुए और उन्होंने आईएसी को किसानों की
लड़ाई में सहयोग देने के लिए आभार व्यक्त किया. बीकेयू के नेता सतनाम सिंह
ने किसानों की दिक्कतें रेखांकित करते हुए बताया, “सरकार जमीनों
का अधिग्रहण साल 2000 से कर रही है लेकिन पुनर्वास के लाभ 2011 से देने की बात हो रही है. यह किसानों का शोषण है.”
संपूर्ण क्रांति मंच के राजीव गोदारा ने कहा, “सरकार
ने डीएलएफ द्वारा अधिग्रहित 30,000 एकड़ जमीनों को कानूनी मान्यता देने के
लिए जमीन अधिग्रहण की तीस एकड़ की सीमा का प्रावधान खत्म कर दिया. यह
प्रावधान 2011 में किया गया लेकिन उसे 1975 से ही प्रभावी माना गया. 35 साल
पीछे से प्रभावी बनाने के पीछे एकमात्र
मकसद डीएलएफ को फायदा पहुंचाना है क्योंकि डीएलएफ ने 1975 से जमीनें
खरीदनी शुरू कीं.”
किसान महापंचायत के संयोजक ओम प्रकाश ने हरियाणा सरकार को किसान विरोधी करार देते हुए कहा, “गुडगांव में पहले 57 सेक्टर थे. अब सरकार शहरीकरण के नाम पर 58 नए सेक्टर जोड़ रही है ताकि बिल्डरों को फायदा पहुंचाया जा सके.”
किसान महापंचायत की अध्यक्षता पूर्व आईएएस अधिकारी और संपूर्ण क्रांति मंच के संरक्षक श्री आर.सी. राव ने की.
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