-दिल्ली पुलिस आयुक्त को तुरंत हटाए जाने की मांग
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली की बिगड़ती कानून व्यवस्था आज किसी से छिपी नहीं है। लूट,हत्या,डकैती, अपहरण, बलात्कार जैसी घिनौनी घटनाओं ने दिल्ली को दहला कर रख दिया है। दिल्ली की जनता भय और आतंक के साये में जी रही है। यह वक्तव्य समाजवादी पार्टी दिल्ली प्रदेश अध्यक्षा श्रीमति उषा यादव ने जंतर-मंतर पर आयोजित एक विशाल प्रदर्शन को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। प्रदर्शन के दौरान बिगड़ती कानून व्यवस्था का पुतला दहन किया तथा देश के राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंप दिल्ली पुलिस आयुक्त नीरज कुमार को तत्काल हटाए जाने की मांग की । इस अवसर पर वरिष्ठ समाजवादी पार्टी कार्यकर्ता आर एस यादव , प्रदेश उपाध्यक्ष अख्तर हमीद , सचिव संजय सिंह , युवजनसभा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अंकुर जैन , महरौली जिला अध्यक्ष उमेश टोकस , ओखला जिला अध्यक्ष प्रहलाद सिंह , ओखला विधानसभा अध्यक्ष ताहिर अली , वरिष्ठ पार्टी कार्यकर्ता अमीरूद्दीन भाई , आत्माराम पांचाल , ओखला जिला सचिव अब्दुल बारी , जेपी यादव , सचिव श्याम सिंह यादव ,सचिव बंसी लाल , महासचिव अनूप सागर तथा उत्तर पूर्वी दिल्ली जिला अध्यक्ष सीपी पांडे सहित सैंकड़ो कार्यकर्ता उपस्थित थे।
प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष उषा यादव ने कहा कि हाल के दिनों में महिलाओं के उपर दिल्ली की सड़कों पर दिन-दहाड़े ऐसे जघन्य अत्याचार हुए हैं , जिन्हें सुनकर ही रूह कांप जाती है। घर में घुसकर महिला से बलात्कार की कोशिश करना और असफल रहने पर उसके गले में लोहे का सरिया डालकर उसकी हत्या करने की कोशिश करना तथा चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन से दिन-दहाड़े एक नव विवाहित युवती को उसके पति के सामने से ही अपहरण कर लेना दो ऐसे उदाहरण हैं , जिन्होंने जनता की सुरक्षा में लगी दिल्ली पुलिस की पोल खोल कर रख दी।
श्रमति यादव ने आगे बताया कि सपा दिल्ली प्रदेश का मानना है कि राजधानी दिल्ली की बिगड़ती कानून व्यवस्था तथा महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों के लिए दिल्ली पुलिस की निष्क्रिय कार्यशैली तथा उसकी लापरवाही पूरी तरह जिम्मेदार है। दिल्ली पुलिस के आला अधिकारी सड़कों पर बैरिकेट लगाकर तथा पुलिस की गाडिय़ों व मोटर साईकिलों में हूटर बजाकर अपराधों पर अंकुश लगाने का दावा करते हैं , जबकि वास्तविकता कुछ ओर ही है। इन बैरिकेटों पर आजतक कोई अपराधी तो पकड़ा नहीं गया है , बल्कि जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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