Lok Sabha Elections 2014 - First List of Final Candidates declared
S.No. | Incumbent MP | Party | State | LS Constituency | AAP Candidate |
1 | Kapil Sibal | INC | Delhi | Chandni Chowk | Ashutosh |
2 | Salman Khurshid | INC | UP | Farukkhabad | Mukul Tripathi |
3 | Mulayam Singh Yadav | SP | UP | Mainpuri | Baba Hardev |
4 | Suresh Kalmadi | INC | Maharashtra | Pune | Subash Ware |
5 | Nitin Gadkari | BJP | Maharashtra | Nagpur | Anjali Damania |
6 | Ajit Singh | RLD | UP | Baghpath | Soumendra Dhaka |
7 | Mahabal Mishra | INC | Delhi | West Delhi | Jarnail Singh |
8 | Dr. Baliram | INC | UP | LALGANJ (SC) | Dr. Jiyalal Ra |
9 | Rahul Gandhi | INC | UP | Amethi | Kumar Vishwas |
10 | INDERJIT SINGH | INC | Haryana | Gurgaon | Yogendra Yadav |
11 | Ad.Kamat Gurudas Vasant | INC | Maharashtra | Mumbai North West | Mayank Gandhi |
12 | Sanjay Dina Patil | NCP | Maharashtra | Mumbai North East | Medha Patkhar |
13 | Milind Murli Deora | INC | Maharashtra | Mumbai South | Meera Sanyal |
14 | Takam Sanjoy | INC | Arunachal | Arunachal West | Habung Payeng |
15 | Sameer Bhujbal | NCP | Maharashtra | Nashik | Vijay Baliram Pandhare |
16 | ARUN SUBHASHCHANDRA YADAV | INC | MP | Khandwa | Alok Aggarwal |
17 | Sanjay Bhoi | INC | Odisha | BARGARH | Lingraj |
18 | MANISH TEWARI | INC | Punjab | Ludhiana | Harvinder Singh Phoolka |
19 | Jagdish Singh Rana | BSP | UP | Saharanpur | Yogesh Dahiya |
20 | MOHAMMED AZHARUDDIN | INC | UP | Moradabad | Khalid Parvaiz |
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Press Release
केजरीवाल का जनलोकपाल बिल क्या महज एक स्टंट था!
ऐतिहासिक रामलीला मैदान का वह मंजर याद कीजिए। करीब डेढ़ महीने पहले जब अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पहुंचे थे, तो उन्होंने अपने संबोधन में कहा था कि इसी मैदान में वे जन लोकपाल बिल को भी पारित करेंगे और भ्रष्टाचारियों को जेल भेजेंगे। अब जब उन्होंने इस्तीफा दे दिया है तो सियासी गलियारों में चर्चा है कि क्या उनका जन लोकपाल बिल महज चुनावी स्टंट भर था।
विधानसभा चुनाव प्रचार के पूरे अभियान में उन्होंने जनता को यही संदेश देने की कोशिश की कि भ्रष्टाचार के खिलाफ वह और उनकी पार्टी ही लड़ सकती है। लेकिन सरकार बनाने के बाद उन्होंने इस बिल को लेकर जितने भी कदम उठाए, वे संविधान के नियमों व कानूनों के खिलाफ थे। बता दें कि जब केजरीवाल सरकार जन लोकपाल बिल का प्रारूप तैयार कर रही थी, तो सरकार के कई विभागों, गृह विभाग, वित्त विभाग, विधि व न्याय विभाग, प्रशासनिक सुधार विभाग, सबने इसके प्रावधानों पर गंभीर आपत्तियां दर्ज कराईं। केजरीवाल के मातहत काम करने वाले अधिकारियों ने उनसे यह भी कहा था कि चूंकि यह एक वित्त विधेयक है लिहाजा, बगैर उपराज्यपाल की मंजूरी के इसे विधानसभा में तो क्या मंत्रिमंडल तक में मंजूर नहीं किया जा सकता।
केजरीवाल नहीं मानें। तमाम आपत्तियों को दरकिनार कर, मंत्रिमंडल ने इस बिल को मंजूरी दे दी। केजरीवाल की अगुवाई वाले मंत्रिमंडल ने यह भी तय कर दिया कि इस बिल को पारित करने के लिए इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाए। अधिकारियों ने उन्हें सलाह दी कि ऐसा करना संभव नहीं है। उन्हें समर्थन दे रही कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर विरोध जताया था। विपक्षी भाजपा ने भी दिल्ली मंत्रिमंडल द्वारा इस संबंध में लिए गए फैसले को असंवैधानिक बताया था, लेकिन केजरीवाल नहीं मानें।
उपराज्यपाल नजीब जंग तक ने उन्हें सलाह दी कि सदन की बैठक खुले में नहीं बुलाई जाए क्योंकि दिल्ली पुलिस सुरक्षा का मामला उठा रही है। इस पर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने उन्हें यह नसीहत दे डाली कि यदि दिल्ली पुलिस सुरक्षा नहीं दे सकती तो अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जाए। केजरीवाल ने केंद्र सरकार के अधिकार को चुनौती देते हुए गृह मंत्रालय के उस आदेश तक को मानने से इन्कार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि विधानसभा में कोई भी बिल पेश किए जाने से पहले उसकी मंजूरी उपराज्यपाल से लेना जरूरी है।
वे कानून मंत्रालय की राय भी मानने को तैयार नहीं हुए। कांग्रेस व भाजपा दोनों दलों का यह कहना था कि उनका इस बिल से कोई विरोध नहीं है, लेकिन इसे संविधान के दायरे में लाया जाना चाहिए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि यदि हम संविधान के नियमों के पालन की मांग कर रहे थे, तो इसमें क्या गलत था। असल में केजरीवाल जन लोकपाल बिल लाना ही नहीं चाहते थे, उन्हें तो इसी बहाने लोकसभा चुनाव की तैयारी करनी थी।
Delhi Cabinet Resigns
BJP & Congress united to prevent the Janlokpal from being tabled. What happened in the Delhi assembly was there for the nation to see. The Delhi cabinet has decided to resign.
दोस्तों आज से दो महीने पहले हम ऐसे ही इकट्ठा हुए थे. आठ दिसंबर को जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीज़ों की घोषणा हुई थी तब हम लोग यहीं इकट्ठा हुए थे. इसी खिड़की से मैंने सबको संबोधित किया था. हमने 28 सीटें जीती थी और हमें भरोसा नहीं था कि हमारी सरकार बनेगी.
हमने कसम खाई थी कि हम कांग्रेस और बीजेपी का समर्थन नहीं लेंगे. लेकिन कांग्रेस ने जबरदस्ती समर्थन दिया. हमने जनता से पूछकर सरकार बनाई. 28 दिसंबर को हमने सरकार बनाई और शपथ ली. हमारा सबसे बड़ा वादा था कि हम जनलोकपाल बिल पास करेंगे. भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ सख़्त क़ानून बनाएंगे.
लेकिन आज विधानसभा में जनलोकपाल बिल पेश करने की कोशिश की गई तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियाँ मिल गईं. आज तक भारत के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ. सभी को यह तो पता है कि बीजेपी और कांग्रेस पर्दे के पीछे मिलते हैं और देश को मिलकर लूट रहे हैं लेकिन पिछले दो दिन में ये खेल भी सबके सामने आ गया. आज दोनों पार्टियों ने जनलोकपाल बिल विधानसभा में पेश ही नहीं होने दिया.
इन्होंने जनलोकपाल बिल गिरा दिया. ऐसा क्यों हैं? क्योंकि अभी तीन दिन पहले हम लोगों ने मुकेश अंबानी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की है. वीरप्पा मोइली के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की है. मुकेश अंबानी वो सख़्श हैं जो इस देश की सरकार चलाते हैं. मकेश अंबानी ने कहा है कि कांग्रेस मेरी दुकान है मैं जब चाहूँ ख़रीद सकता हूँ. यूपीए की सरकार को पिछले दस साल से मुकेश अंबानी चला रहे थे और पिछले एक साल से मोदी जी को चला रहे हैं.
मोदी के पास इतना पैसा कहां से आता हैं. हेलीकॉप्टर से घूमते हैं, इतनी बड़ी बड़ी रैलियाँ करते हैं? पैसा आता है क्योंकि मुकेश अंबानी उनके पीछे हैं. जैसे ही हमने मुकेश अंबानी पर हाथ रखा ये दोनों एक हो गए. इन्होंने जनलोकपाल पास नहीं होने दिया क्योंकि इन्हें लगा कि अभी केजरीवाल के छोटी सी एसीबी है तो नाक में दम कर रखा है यदि जनलोकपाल आ गया तो आधे से ज़्यादा नेता जेल चले जाएंगे.
इसलिए दोनों पार्टियों ने मिलकर जनलोकपाल बिल गिरा दिया. इन्हें ये भी डर था कि यदि सरकार चलती रही तो अभी तो मुकेश अंबानी और मोइली को ही पकड़ा है थोड़े दिनों में शरद पवार की भी बारी आ सकती है. दोस्तों, मैं बहुत छोटा आदमी हूँ. मैं यहाँ कुर्सी के लिए नहीं आया हूँ. मैं यहाँ जनलोकपाल बिल के लिए आया हूँ. आज लोकपाल बिल गिर गया है और हमारी सरकार इस्तीफ़ा देती है.
मैं मांग करता हूँ कि दिल्ली विधानसभा को बर्खास्त किया जाए और दिल्ली में तुरंत चुनाव करवाए जाएं. लोकपाल बिल के लिए सौ बार मुख्यमंत्री की कुर्सी न्यौछावर करने के लिए तैयार हैं. मैं इस बिल के लिए जान भी देने के लिए तैयार हूँ. अभी अभी हमारी कैबिनेट मीटिंग हुई थी और हमारी कैबिनेट ने मिलकर यह निर्णय लिया है कि हमारी सरकार आज इस्तीफ़ा देती है.
28 दिसंबर और उसके बाद से हमारे सात के सात मंत्री आज तक ठीक से सोए नहीं हैं. हम रात दिन काम कर रहे थे. हमने दिल्ली वालों के लिए काम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. हमने पूरी साफ़ नियत और ईमानदारी से काम करने की कोशिश की. हो सकता है हमसे ग़लतियाँ हुई हों. हम भी इंसान हैं. लेकिन हमने पूरी ईमानदारी से कोशिश की.
ये लोग कहते हैं कि हमसे गवर्नेस करनी नहीं आती. पाँच साल में बीजेपी और कांग्रेस वाले बिजली कंपनियों का ऑडिट नहीं करवा पाए हमने पाँच दिन में करवा दिया. हमने शीला दीक्षित के भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की. हमने मुकेश अंबानी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की. हम भी अगर करोड़ों रुपए खा लेते और थोड़े से बीजेपी और कांग्रेस वालों के फेंक देते तो ये कहते कि बड़ा अच्छा काम चल रहा है. दोस्तों कल जो कुछ संसद और विधानसभा के अंदर हुआ है उससे मन बहुत खट्टा हो गया.
कल संसद में इन्होंने मिर्ची पाउडर फेंका, विधानसभा में मेरा माइक तोड़ दिया. हमारे एक मंत्री को चूड़ियाँ दी. हमारे काग़ज़ फेंक दिया. चूड़ियाँ देने का मतलब क्या है? क्या ये बीजेपी वाले महिलाओं की इज्ज़त नहीं करते. बड़ी बड़ी बातें करते हैं. विधानसभा को मंदिर बताते हैं लेकिन मैं पूछता हूँ कि मंदिर में मूर्तियाँ तोड़ते हो क्या, मस्जिद में कुरान फ़ाड़ते हो क्या? शर्म आती है मुझे.
बीजेपी वालों ने विधानसभा और संसद दोनों को शर्मसार कर दिया. हम जो भी काम करते हैं ये उसे असंवैधानिक बताते हैं. मुकेश अंबानी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर की तो मोइली ने असंवैधानिक बता दिया. हम जनलोकपाल लाए तो बिल को असंवैधानिक बता दिया. मैंने भी संवीधान पढ़ा हैं. कहीं नहीं लिखा कि हमें विधानसभा में बिल प्रस्तुत करने से पहले केंद्र सरकार की अनुमति चाहिए.
क्या केंद्र सरकार अंग्रेज़ों की सरकार है और दिल्ली के उपराज्यपाल उनके वॉयसराय हैं? हम नहीं बात मानते केंद्र सरकार की. हम संविधान की बात मानेंगे और उसके लिए अपनी जान तक देने के लिए तैयार हैं. इस देश की जनता ने अब आज़ादी की खुशबू लेनी है और अब जनता चुप नहीं बैठेगी. मैं अब यहाँ से सीधा उपराज्यपाल के पास जा रहा हूँ और भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि हम बहुत छोटे लोग हैं. भगवान हमें सद्बुद्धि दे और देश के लिए जान कुर्बान करने का मौक़ा दे.
दोस्तों आज से दो महीने पहले हम ऐसे ही इकट्ठा हुए थे. आठ दिसंबर को जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीज़ों की घोषणा हुई थी तब हम लोग यहीं इकट्ठा हुए थे. इसी खिड़की से मैंने सबको संबोधित किया था. हमने 28 सीटें जीती थी और हमें भरोसा नहीं था कि हमारी सरकार बनेगी.
हमने कसम खाई थी कि हम कांग्रेस और बीजेपी का समर्थन नहीं लेंगे. लेकिन कांग्रेस ने जबरदस्ती समर्थन दिया. हमने जनता से पूछकर सरकार बनाई. 28 दिसंबर को हमने सरकार बनाई और शपथ ली. हमारा सबसे बड़ा वादा था कि हम जनलोकपाल बिल पास करेंगे. भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ सख़्त क़ानून बनाएंगे.
लेकिन आज विधानसभा में जनलोकपाल बिल पेश करने की कोशिश की गई तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियाँ मिल गईं. आज तक भारत के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ. सभी को यह तो पता है कि बीजेपी और कांग्रेस पर्दे के पीछे मिलते हैं और देश को मिलकर लूट रहे हैं लेकिन पिछले दो दिन में ये खेल भी सबके सामने आ गया. आज दोनों पार्टियों ने जनलोकपाल बिल विधानसभा में पेश ही नहीं होने दिया.
इन्होंने जनलोकपाल बिल गिरा दिया. ऐसा क्यों हैं? क्योंकि अभी तीन दिन पहले हम लोगों ने मुकेश अंबानी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की है. वीरप्पा मोइली के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की है. मुकेश अंबानी वो सख़्श हैं जो इस देश की सरकार चलाते हैं. मकेश अंबानी ने कहा है कि कांग्रेस मेरी दुकान है मैं जब चाहूँ ख़रीद सकता हूँ. यूपीए की सरकार को पिछले दस साल से मुकेश अंबानी चला रहे थे और पिछले एक साल से मोदी जी को चला रहे हैं.
मोदी के पास इतना पैसा कहां से आता हैं. हेलीकॉप्टर से घूमते हैं, इतनी बड़ी बड़ी रैलियाँ करते हैं? पैसा आता है क्योंकि मुकेश अंबानी उनके पीछे हैं. जैसे ही हमने मुकेश अंबानी पर हाथ रखा ये दोनों एक हो गए. इन्होंने जनलोकपाल पास नहीं होने दिया क्योंकि इन्हें लगा कि अभी केजरीवाल के छोटी सी एसीबी है तो नाक में दम कर रखा है यदि जनलोकपाल आ गया तो आधे से ज़्यादा नेता जेल चले जाएंगे.
इसलिए दोनों पार्टियों ने मिलकर जनलोकपाल बिल गिरा दिया. इन्हें ये भी डर था कि यदि सरकार चलती रही तो अभी तो मुकेश अंबानी और मोइली को ही पकड़ा है थोड़े दिनों में शरद पवार की भी बारी आ सकती है. दोस्तों, मैं बहुत छोटा आदमी हूँ. मैं यहाँ कुर्सी के लिए नहीं आया हूँ. मैं यहाँ जनलोकपाल बिल के लिए आया हूँ. आज लोकपाल बिल गिर गया है और हमारी सरकार इस्तीफ़ा देती है.
मैं मांग करता हूँ कि दिल्ली विधानसभा को बर्खास्त किया जाए और दिल्ली में तुरंत चुनाव करवाए जाएं. लोकपाल बिल के लिए सौ बार मुख्यमंत्री की कुर्सी न्यौछावर करने के लिए तैयार हैं. मैं इस बिल के लिए जान भी देने के लिए तैयार हूँ. अभी अभी हमारी कैबिनेट मीटिंग हुई थी और हमारी कैबिनेट ने मिलकर यह निर्णय लिया है कि हमारी सरकार आज इस्तीफ़ा देती है.
28 दिसंबर और उसके बाद से हमारे सात के सात मंत्री आज तक ठीक से सोए नहीं हैं. हम रात दिन काम कर रहे थे. हमने दिल्ली वालों के लिए काम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. हमने पूरी साफ़ नियत और ईमानदारी से काम करने की कोशिश की. हो सकता है हमसे ग़लतियाँ हुई हों. हम भी इंसान हैं. लेकिन हमने पूरी ईमानदारी से कोशिश की.
ये लोग कहते हैं कि हमसे गवर्नेस करनी नहीं आती. पाँच साल में बीजेपी और कांग्रेस वाले बिजली कंपनियों का ऑडिट नहीं करवा पाए हमने पाँच दिन में करवा दिया. हमने शीला दीक्षित के भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की. हमने मुकेश अंबानी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की. हम भी अगर करोड़ों रुपए खा लेते और थोड़े से बीजेपी और कांग्रेस वालों के फेंक देते तो ये कहते कि बड़ा अच्छा काम चल रहा है. दोस्तों कल जो कुछ संसद और विधानसभा के अंदर हुआ है उससे मन बहुत खट्टा हो गया.
कल संसद में इन्होंने मिर्ची पाउडर फेंका, विधानसभा में मेरा माइक तोड़ दिया. हमारे एक मंत्री को चूड़ियाँ दी. हमारे काग़ज़ फेंक दिया. चूड़ियाँ देने का मतलब क्या है? क्या ये बीजेपी वाले महिलाओं की इज्ज़त नहीं करते. बड़ी बड़ी बातें करते हैं. विधानसभा को मंदिर बताते हैं लेकिन मैं पूछता हूँ कि मंदिर में मूर्तियाँ तोड़ते हो क्या, मस्जिद में कुरान फ़ाड़ते हो क्या? शर्म आती है मुझे.
बीजेपी वालों ने विधानसभा और संसद दोनों को शर्मसार कर दिया. हम जो भी काम करते हैं ये उसे असंवैधानिक बताते हैं. मुकेश अंबानी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर की तो मोइली ने असंवैधानिक बता दिया. हम जनलोकपाल लाए तो बिल को असंवैधानिक बता दिया. मैंने भी संवीधान पढ़ा हैं. कहीं नहीं लिखा कि हमें विधानसभा में बिल प्रस्तुत करने से पहले केंद्र सरकार की अनुमति चाहिए.
क्या केंद्र सरकार अंग्रेज़ों की सरकार है और दिल्ली के उपराज्यपाल उनके वॉयसराय हैं? हम नहीं बात मानते केंद्र सरकार की. हम संविधान की बात मानेंगे और उसके लिए अपनी जान तक देने के लिए तैयार हैं. इस देश की जनता ने अब आज़ादी की खुशबू लेनी है और अब जनता चुप नहीं बैठेगी. मैं अब यहाँ से सीधा उपराज्यपाल के पास जा रहा हूँ और भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि हम बहुत छोटे लोग हैं. भगवान हमें सद्बुद्धि दे और देश के लिए जान कुर्बान करने का मौक़ा दे.
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