भगवान शिव की उपासना की विशेषताएं
सनातन निर्मित गभवान शिव का सात्त्विक चित्र
शिवभक्त
महाशिवरात्र के दिन शिवजी की श्रद्धापूर्वक उपासना करते हैं । इसका
अध्यात्मशास्त्रीय आधार समझकर शिवोपासना करने से उपासक में भक्तिभाव बढता है ।
परिणामस्वरूप, उसे
उपासना से अधिक से अधिक लाभ मिलता है । शिवभक्तों को महाशिवरात्र व्रत का पूरा फल
मिले, इस
हेतु प्रस्तुत है शिवोपासना की विशेषताएं एवं उनका अध्यात्मशास्त्रीय आधार –
महाशिवरात्र
व्रत का अध्यात्मशास्त्रीय आधार
राfत्र के
एक प्रहर शिवजी शयन करते हैं, जिसे 'महाशिवरात्र' कहते है । इस काल में शिवजी का सगुणात्मक कार्य रुक
जाता है, अर्थात
शिवजी ध्यानावस्था से समाधि-अवस्थामें प्रवेश करते हैं । इस अवस्था में शिवजी विश्व के तमोगुण
को अस्वीकार करते हैं, अतः
विश्व में तमोगुण बढ जाता है । हमपर इसका कुप्रभाव न हो, इस हेतु
महाशिवरात्र व्रत करते हैं ।
शिवजी का आशीर्वाद : शिवजी ने
भक्तों को आशीर्वाद दिया है - जो महाशिवरात्र पर मेरा व्रत करेंगे, उनपर मेरी आगे
दिए अनुसार कृपादृष्टि होगी - १. पुरुषों की सर्व इच्छाएं पूर्णहोंगी । २.
कुमारियों को मनानुरूप वर मिलेगा । ३. विवाहित स्त्रियां सौभाग्यवती रहेंगी ।’
भस्म एवं
रुद्राक्ष का भावार्थ
भस्म : शरीर की नश्वरता का सतत स्मरण रहे, इसका सूचक है
भस्म ।
रुद्राक्ष : रुद्राक्ष बीज है । यह कभी क्षीण नहीं होता ।
आत्मा भी ऐसी है । रुद्राक्ष आत्मा का
प्रतीक है ।
शृंगदर्शन कैसे
करें ? (नंदी
के सींगों के मध्यसे शिवलिंग के दर्र्शन)
शृंगदर्शन
के समय नंदी के दार्इं ओर उसके पिछले पैरों के निकट बैठकर अथवा खडे रहकर बायां हाथ
नंदी के वृषण पर (अंडकोश पर) रखें । दाएं हाथ की तर्जनी एवं अंगूठे को नंदी के
दोनों सींगों पर रखें । दोनों सींगों तथा उनपर रखी दो उंगलियों के मध्य से शिवलिंग
के दर्शन करें ।
शिवजी को
बिल्वपत्र क्यों एवं कैसे चढाएं ?
बिल्वपत्र
में शिवतत्त्व अधिकाधिक आकर्षित करने की क्षमता होती है, इसलिए शिवजी को
बिल्वपत्र चढाते हैं । शिवपिंडी पर त्रिदलीय बिल्वपत्र औंधे रखें एवं उसका डंठल
देवता कीओर तथा अग्रभाग अपनी ओर कर चढाएं
। शिवपिंडी पर बिल्वपत्र औंधा चढाने से उससे निर्गुण स्तर के स्पंदनअधिक मात्रा
में प्रक्षेपित होते हैं तथा श्रद्धालुओं को इससे अधिक लाभ होता है ।
शिवपूजा में
कुछ विधिनिषेध
श्वेत अक्षत
(धुले हुए अखंड चावल) एवं पुष्प चढाएं ! : अक्षत की ओर
निर्गुण ईश्वरीय तत्त्व से संबंधित उच्च देवताओं की तरंगें आकर्षित होती हैं; इसलिए अधिकाधिक
निर्गुणसे संबंधित शिवजी को उनके श्वेत रंग से समानता दर्शानेवाले श्वेत अक्षत
चढाएं । साथही, अरघेपर
निशिगंध, जाही, जूही, मोगरासमान
श्वेत पुष्प, उनका
डंठल पिंडी की ओरकर १० अथवा १० के गुणज में चढाएं ।
अगरबत्ती
एवं इतर (इत्र) का प्रयोग करें ! : अगरबत्ती एवं इतर से प्रक्षेपित
गंधतरंगों की ओर देवताओं की तरंगें शीघ्र आकर्षित होती हैं; इसलिए शिवपूजा
में विहित केवडा, चमेली
अथवा मेंहदी की सुगंधवाली अगरबत्तियों एवं केवडे के इतर का प्रयोग करें ।
हलदी एवं
कुमकुम न चढाएं ! : हलदी एवं कुमकुम उत्पत्ति के प्रतीक हैं; इसलिए लय के
देवता शिवजी को ये वस्तुएं न चढाएं ।
महाशिवरात्र के
दिन शिवजी का नामजप क्यों करें ?
महाशिवरात्र पर
अन्य दिनों की तुलना में १००० गुना कार्यरत शिवतत्त्व का अधिक से अधिक लाभ पाने के
लिए ‘ॐ नम:
शिवाय ।’ जप
अधिकाधिक तथा भावपूर्ण करें ।
(सुनिए
: सनातन संस्था की ऑडियो सीडी ‘शिवजी का नामजप एवं उपासनाशास्त्र’)
‘नम: शिवाय ।’ मंत्र का
आध्यात्मिक अर्थ
न - समस्त लोकों के आदिदेव
म: - परम ज्ञान देनेवाले तथा महापातकों का नाश
करनेवाले
शि - कल्याणकारी, शांत एवं शिवानुग्रह का मूल कारण
वा - वृषभवाहन, वासुकी तथा वामांगी शक्ति का सूचक
य - परमानंदरूप तथा शिवजी का शुभ निवासस्थान
(अधिक
जानकारी हेतु पढें : शिवजी की विशेषताएं, कार्य, उपासना इत्यादि के विषय में मार्गदर्शन
करनेवाले सनातन संस्था भगवान शिव से संबंधित २ ग्रंथ एवं २ लघुग्रंथ !)
हिन्दुओ, देवताओं का
निरादर रोकें; धर्मपालन
करें !
१. देवताओं के चित्र अथवा उनके नाम छपे कपडे न पहनें !
२. देवताओं की वेशभूषा धारण कर भिक्षा मांगनेवालों को रोकें
!
३. देवताओं का अनादर करने वाले उत्पाद, पत्रिका, नाटक, चलचित्र इ.का
बहिष्कार करें !
४. देवताओं के चित्रों को विकृत बनाने एवं बिक्री करने
वालों का वैधानिक मार्ग से विरोध करें !
अधिक जानकारी हेतु अवश्य देखें :
www.sanatan.org
आपका विनम्र,
हिंदू जनजागृति समितिके लिए
सुरेश मुंजाल
संपर्क क्र. :9811414247
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