Tuesday, December 5, 2017

Lack of accountability risks jeopardizing progress, says UNESCO

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New Delhi, 4 December – On the 4 th December 2017,UNESCO New Delhi hosted the National Launch of UNESCO’s 2017/8 Global Education Monitoring (GEM) Report:Accountability in education: meeting our commitments, followed by a Panel discussion. Mr.Shigeru Aoyagi, Director and UNESCO Representative gave the welcome address and Mr. Shailendra Sigdel UIS Statistical Advisor moderated the Panel discussion, while Ms Satoko Yano, Chief of Education, shared the highlights of the GEM report findings. The imminent panelists included Ms Avani Kapur, Director, Accountability Initiative, Centre for Policy Research and Dr Shamika Ravi ofBrookings India. The media Q&A session was moderated by Mr Rajiv Chandran, UNIC Officer-in-Charge.
The event was attended by over 100 participants, which included experts, academicians, researchers, teachers, media, NGOs, as also other UNESCO partners working in the field of education.
UNESCO’s 2017/8 Global Education Monitoring (GEM) Report highlights the
responsibility of all education stakeholders primarily government to provide universal quality education and stresses that accountability is indispensable in achieving the goal of Sustainable Development on Education. The Report, warns that disproportionate blame on any one actor for systemic educational problems can have serious negative side effects, widening inequality and damaging learning.
“With millions of children still not going to school,and many not achieving minimum proficiency levels at school, indicates that education systems are not on track,” says Mr Shigeru Aoyagi, Director and UNESCO Representative. “The 2017/18 GEM Report shows the entire array of approaches to accountability in education and provides clear evidence on those accountability tools that are working and those that are not.
Accountability in education: meeting our commitments the second in the GEM Report  series, which monitors progress towards the internationally agreed Sustainable Development Goal for Education (SDG4), looks at the different ways people and institutions can be held accountable for reaching that goal, including regulations, testing, monitoring, audits, media scrutiny, and grass root movements.
“Education is a shared responsibility between us all– governments, schools, teachers, parents and private actors,” said former UNESCO Director-General Irina Bokova. “Accountability for these responsibilities defines the way teachers teach, students learn, and governments act. It must be designed with care and with the principles of equity, inclusion and quality in mind.”
Whereas transparency would help identify problems, only one in six governments publish annual education monitoring reports globally.

Community Approaches to Sanitation

Dec
12
The Accountability Initiative (AI) and Scaling City Institutions for India: Sanitation (SCIFI) are pleased to invite you for a conference on
Community Approaches to Sanitation
Tuesday, 12 December 2017, 9:30 a.m. to 4:00 p.m.
Tamarind Hall, Habitat World, India Habitat Centre
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This conference will be a unique opportunity to understand challenges and best practices in India’s WASH sector. Prominent academics, policy researchers, and practitioners will be sharing their insights as part of the event.
It attempts to bring decades of experience in sanitation policy and implementation around one table, to share learnings and provide recommendations on the issue of safe sanitation, including but not limited to the role of the Swachh Bharat Mission.
CPR also aims to build a network of researchers, to share and cross learn from the immensely valuable body of sanitation research in India and around the world.
For queries or to confirm your participation, kindly mail Devashish Deshpande at: ddeshpande@accountabilityindia.org.

Accountability Initiative (AI) at the Centre for Policy Research (CPR) advances transparent governance in India, and accountable policy implementation which can serve people’s needs. AI identifies and analyses the reasons that work against efficient public services delivery in India. AI provides the evidence to policymakers and implementers to enable decision making that is responsive to the ground reality.
Scaling City Institutions For India: Sanitation (SCI-FI: Sanitation) is a research programme at the CPR on inclusive and sustainable urban sanitation. The programme seeks to understand the reasons for poor sanitation, and to examine how these might be related to technology and service delivery models, institutions, governance and financial issues, and socio-economic dimensions. It also seeks to support national, state and city authorities develop policies and programmes for intervention with the goal of increasing access to safe and sustainable sanitation in urban areas.
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श्रीराम जन्म भूमि के पंद्रह सौ गज और 489 वर्ष

श्रीराम जन्म भूमि के पंद्रह सौ गज और 489 वर्ष
   – विनोद बंसल
           राष्ट्रीय प्रवक्ता
    विश्व हिन्दू परिषद
                                                                                                               Follow : @vinod_bansal
1992 के अंत में भारत के इतिहास में एक ऎसी घटना घटी है जो पीढ़ीयों तक याद की जाएगी. छ: दिसंबर 1992 को अयोध्या के मुहल्ला राम कोट में तीन गुम्बदों वाला एक ढांचा हिन्दू समाज ने अपनी सामूहिक संगठित शक्ति और उपस्थिति के आधार पर केवल बांस बल्लियों व अपने हाथों से मात्र 5 घंटे में धरा शाई कर दिया विश्व भर का हिन्दू समाज इस स्थान को भगवान श्री राम की जन्म भूमि मानता आया हैवहाँ कभी एक भव्य मन्दिर था जो राम जन्मभूमि मन्दिर कहलाता था। इस मन्दिर को ईसवी सन् 1528 में बाबर के आदेश पर तोड़ा गया।
वास्तव में देखा जाए तो अयोध्या का विवाद किसी मंदिर-मस्जिद का कोई सामान्य विवाद न हो कर भगवान श्री राम की जन्मभूमि को वापस प्राप्त करने हेतु गत 489 वर्षों से अनवरत रूप से चला आ रहा एक ऐसा संघर्ष है जिसमें 76 युद्धों में असंख्य राम भक्तों के बलिदान उपरान्त अब एक निर्णायक मोड़ आ गया है। यह हिन्दुस्तान के स्वाभिमान का संघर्ष है। इस सन्दर्भ में अनेक तथ्य विचारणीय हैं. 1991 में मुस्लिम नेतृत्व ने तत्कालीन प्रधानमंत्री महोदय को वचन दिया था कि यदि यह सिद्ध हो गया कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है तो वे स्वेच्छा से यह स्थान हिन्दू समाज को सौंप देंगे”।
इसके बाद जनवरी, 1993 में तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति महोदय ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय से एक प्रश्न किया कि ‘‘अयोध्या में बाबरी मस्जिद जिस स्थान पर खड़ी थीउस स्थान पर क्या इसके निर्माण के पहले कोई हिन्दू धार्मिक भवन अथवा कोई हिन्दू मन्दिर थाजिसे तोड़कर वह ढाँचा खड़ा किया गया ?’’…. इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भी यही प्रश्न प्रमुखता से उठा कि हिन्दू समाज जिस स्थान को भगवान श्रीराम की जन्मभूमि मानता हैवहाँ बाबर के आक्रमण के पहले कभी कोई मन्दिर था अथवा नहीं था भारत सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को सितम्बर 1994 ई0 में शपथपत्र दिया था कि यदि यह सिद्ध  हो गया कि मंदिर तोड़कर तीन गुम्बदों वाले ढाँचे का निर्माण किया गया है तो भारत सरकार हिन्दू समाज की भावनाओं के अनुसार कार्य करेगी और यदि यह सिद्ध हुआ कि उस स्थान पर कभी कोई मन्दिर नहीं था अतः कुछ भी तोड़ा नहीं गयातो भारत सरकार मुस्लिमों की भावनाओं के अनुसार व्यवहार करेगी। इसी प्रश्न का उत्तर खोजने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जन्मभूमि के स्थान के नीचे राडार तरंगों से फोटोग्राफी कराई। फोटोग्राफी करने वाले (कनाडा के) विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि जमीन के नीचे दूर-दूर तक भवन के अवशेष उपलब्ध हैं। इन्हें देखने के लिए वैज्ञानिक उत्खनन किया जाना चाहिए।
               कनाडा के भू-वैज्ञानिक की सलाह पर उच्च न्यायालय ने भारत सरकार के पुरातत्व विभाग को उत्खनन का निर्देश दिया था। वर्ष 2003 में 6 महीने तक उत्खनन हुआ। 27 दीवारें मिलींदीवारों में नक्काशीदार पत्थर लगे हैं, 52 ऐसी रचनाएँ मिलीं जिनके खम्भों को जमीन के नीचे का आधार कहा गयाभिन्न-भिन्न स्तर पर 4 फर्श मिलेपानी की पक्की बावड़ी व उसमें उतरने के लिए अच्छी सुन्दर सीढ़ियाँ मिलींएक छोटे से मन्दिर की रचना मिली जिसे पुरातत्ववेत्ताओं ने 12वीं शताब्दी का हिन्दू मन्दिर लिखा। पुरातत्ववेत्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में यह लिखा कि उत्खनन में जो-जो वस्तुएँ मिली हैंवे सभी उत्तर भारतीय शैली के हिन्दू मन्दिर की वस्तुएँ हैं। अतः इस स्थान पर कभी एक मन्दिर था।
पुरातत्व विभाग की इस रिपोर्ट के आधार पर ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 15 वर्षों की सघन वैधानिक कार्यवाही के पश्चात अपने निर्णय में लिखा-
1.      विवादित स्थल ही भगवान राम का जन्मस्थान है। जन्मभूमि स्वयं में देवता है और विधिक प्राणी है। जन्मभूमि का पूजन भी रामलला के समान ही दैवीय मानकर होता रहा है और देवत्व का यह भाव शाश्वत है.
2.      हिन्दुओं की श्रद्धा व विश्वास के अनुसार विवादित भवन के मध्य गुम्बद के नीचे का भाग भगवान राम की जन्मभूमि है …..।
3.      यह घोषणा की जाती है कि आज अस्थायी मन्दिर में जिस स्थान पर रामलला का विग्रह विराजमान है वह स्थान हिन्दुओं को दिया जाएगा ……….
4.      विवादित ढाँचा किसी पुराने भवन को विध्वंस करके उसी स्थान पर बनाया गया था। पुरातत्त्व विभाग ने यह सिद्ध किया है कि वह पुराना भवन कोई विशाल हिन्दू धार्मिक स्थल था ……..।
5.      विवादित ढाँचा बाबर के द्वारा बनाया गया था ……… यह इस्लाम के नियमों के विरुद्ध बनाइसलिए यह मस्जिद का रूप नहीं ले सकता।
6.      तीन गुम्बदों वाला वह ढाँचा किसी खाली पड़े बंजर स्थान पर नहीं बना था बल्कि अवैध रूप से एक हिन्दू मन्दिर/पूजा स्थल के ऊपर खड़ा किया गया था। अर्थात एक गैर इस्लामिक धार्मिक भवन अर्थात हिन्दू मन्दिर को गिराकर विवादित भवन का निर्माण कराया गया था।
       न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा एवं न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने निर्मोही अखाड़ा द्वारा वर्ष 1959 में तथा सुन्नी मुस्लिम वक्फ बोर्ड द्वारा दिसम्बर, 1961 में दायर किए गए मुकदमों को निरस्त कर दिया और निर्णय दिया कि ‘‘निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी मुस्लिम वक्फ बोर्ड को कोई राहत नहीं दी जा सकती।’’
इस्लाम की मान्यताओं के अनुसार जोर-जबरदस्ती से प्राप्त की गई भूमि पर पढ़ी गई नमाज अल्लाह स्वीकार नहीं करते हैं और न ही ऐसी सम्पत्ति अल्लाह को समर्पित (वक्फ) की जा सकती है। किसी मन्दिर का विध्वंस करके उसके स्थान पर मस्जिद का निर्माण करने की अनुमति कुरआन व इस्लाम की मान्यताएं नहीं देती। न्यायमूर्ति धर्मवीर शर्मा ने कुरआन व इस्लाम की मान्यताओं का उल्लेख करते हुए यह निर्णय दिया कि बाबर को भी विवादित भवन को मस्जिद के रूप में अल्लाह को समर्पित (वक्फ) करने का अधिकार नहीं था।
               भगवान रामलला के अधिकार को स्थापित करने में केवल एक ही बाधा हैवह है न्यायमूर्ति एस. यू. खान व न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल द्वारा विवादित परिसर का तीन हिस्सों में विभाजन अर्थात भगवान रामललानिर्मोही अखाड़ा तथा सुन्नी वक्फ बोर्ड तीनों ही विवादित परिसर का 1/3 भाग प्राप्त करेंगे। यह ध्यान देने योग्य है कि यह मुकदमा सम्पत्ति के बंटवारे का मुकदमा नहीं था और निर्मोही अखाड़ा अथवा सुन्नी मुस्लिम वक्फ बोर्ड अथवा रामलला विराजमान तीनों में से किसी ने भी परिसर के बंटवारे का मुकदमा दायर नहीं किया था और न ही परिसर के बंटवारे की माँग की थी। अतः बंटवारे का आदेश देना न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करते समय इसी आशय की मौखिक टिप्पणी एक न्यायाधीश ने की थी।
       जन्मभूमि की अदला-बदली नहीं की जाती। यह न खरीदी जा सकती हैन बेची जा सकती है और न ही दान दी जा सकती। यह अपरिवर्तनीय है।
गौर करने वाली बात यह है कि यह सम्पूर्ण विवाद अधिक से अधिक 1500  वर्ग गज  भूमि  का हैजिसकी लम्बाई-चैड़ाई अधिकतम 140X100 फीट होती है। भारत सरकार द्वारा अधिग्रहित 70 एकड़ भूमि इससे अलग है तथा वह भारत सरकार के पास हैजिस पर कोई मुकदमा अदालत में लम्बित नहीं है। इसी70 एकड़ भूखण्ड में लगभग 45 एकड़ भूमि श्रीराम जन्मभूमि न्यास की है। इस भूमि का अधिग्रहण होने के बाद भी श्रीराम जन्मभूमि न्यास ने भारत सरकार से कभी कोई मुआवजा नहीं लिया। हिन्दू समाज में मंदिर की सम्पूर्ण सम्पत्ति भगवान की होती हैकिसी व्यक्तिट्रस्ट या महंत की नहीं। महंतव्यक्तिसाधुपुजारीट्रस्टी भगवान के सेवक होते हैंस्वामी कदापि नहीं।
कारसेवक अनुशासन-हीन नही थे। उन्होंने संतों द्वारा घोषित दिनांक व समय का पूरा पालन किया। दिल्ली में 30 अक्टूबर 1992 को धर्म संसद रानी झॉसी स्टेडियम में हुई थी। इसमें तीन हजार से अधिक संतों ने 6 दिसम्बर, 1992 को 11.45 बजे गीता-जयन्ती के दिन कारसेवा का समय निश्चित किया थाजिसका कारसेवकों ने अक्षरशः पालन किया। न अयोध्याफैजाबाद में कोई लूट-पाट हुई तथा न ही कार-सेवकों के आने-जाने के मार्ग में।
गर्भगृह वहीं बनेगाजहां रामलला विराजमान हैं तथा मंदिर उन्हीं संतों के कर-कमलों से बनेगाजिन्होंने 1984 से आज तक इस आंदोलन का लगातार नेतृत्व व मार्गदर्शन किया है। राम जन्मभूमि न्यास एक वैधानिक न्यास है। अयोध्या की मणिरामदास छावनी के श्री महंत पूज्य नृत्यगोपाल दास जी महाराज इसके कार्याध्यक्ष हैं। मंदिर उसी प्रारूप का बनेगा जिसके चित्र विश्व के करोड़ों हिन्दू-घरों में विद्यमान हैं।
               हिन्दुओं के लिए अयोध्या का उतना ही महत्व है जितना मुस्लिमों के लिए मक्का का हैमक्का में कोई गैर मुस्लिम प्रवेश नहीं कर सकता। अतः अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा में कोई नई मस्जिद/स्मारक/इस्लामिक सांस्कृतिक केन्द्र नहीं बन सकता। भारत का राष्ट्रीय समाज अपेक्षा करता है कि-
·        मुस्लिम समाज अपने द्वारा सरकार को दिए गए वचन का पालन करे और स्वेच्छा से यह स्थान हिन्दू समाज को सौंप दे।
·        भारत सरकार अपने शपथ पत्र का पालन करे और राष्ट्रीय स्वाभिमान की रक्षा के लिए वर्ष 1993 में भारत सरकार द्वारा अधिगृहीत सम्पूर्ण 70 एकड़ भूमि श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण हेतु हिन्दू समाज को सौंप दे।
·        श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण के लिए सोमनाथ मन्दिर की तर्ज पर संसद में कानून बने।
·        यह सुनिश्चित किया जाए कि अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा के भीतर कोई भी नई मस्जिद अथवा इस्लामिक सांस्कृतिक केन्द्र/स्मारक का निर्माण नहीं होगा तथा बाबर के नाम पर भारत में कोई मोन्यूमेंट नहीं बनेगा।
गत 489 वर्षों में बहुत पानी बह चुका, हमने पाकिस्तान और बंगलादेश के रूप में भारत के अनेक साम्प्रदायिक  विभाजन होते देखे, कश्मीर के साथ देश के अनेक भागों से भी उसी आधार पर हिन्दुओं के पलायन को भी सहा तीस हजार से अधिक हिन्दू धर्म स्थलों को विविध मुग़ल शासकों द्वारा कुचलते हुए भी देखा। किन्तु बस! अब बहुत हो चुका मुस्लिम नेताओं को कौरवी मानसिकता को त्यागकर समस्त समुदाय को बाबर या बाबरी से जोड़ने का पाप न करते हुए मात्र 1500 वर्ग गज भू भाग पर अनावश्यक जिद त्यागनी होगी क्योंकि एक और महाभारत को आमंत्रित करना अब देश हित में नहीं है अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पांच दिसम्बर से तो नियमित सुनवाई हेतु तैयारी कर ही ली है किन्तु फिर भी इस पच्चीसवे शौर्य दिवस पर संकल्प लें कि :
आओ सब मिल साथ चलेंगे, मंदिर को हर हाथ मिलेंगे.
**पता: 329, द्वितीय तल, संत नगर, पूर्वी कैलाश, नई दिल्ली–65अणु डाक : vinodbansal01@gmail.com**

Vijay Sharma teams up with UN Environment to tackle air pollution

 Vijay Sharma teams up with UN Environment to tackle air pollution
Nairobi, 4 December 2017 – Vijay Shekhar Sharma, founder of India’s largest mobile-first financial services conglomerate Paytm, today vowed to tackle air pollution across the globe as he became UN Environment’s Patron for Clean Air.
As UN Environment’s newest patron, Vijay will help drive greater environmental action and awareness, and advocate for the goals of UN Environment’s global #BreatheLife campaign – a major initiative on air quality seeking to influence policy and citizen action for a healthy future.
With 9 out of 10 people worldwide breathing unsafe air, indoor and outdoor air pollution is the world’s biggest environmental health risk, killing about 6.5 million people worldwide.
“Delhi is like a mother who is saying she is in pain,” Vijay said, referring to the problem of air pollution in his adopted hometown. “This starts from Delhi and becomes a national and global concern.
“I am honoured to be appointed UN Environment Patron of Clean Air. We can’t achieve economic well-being without ensuring the well-being of the environment. The private sector is key to ensure cleaner air and a more sustainable future for us all.”
According to the World Health Organization, half of the 20 most-polluted cities in the world (levels of PM2.5, a fine particulate matter), are in India, with Delhi coming in at number 11 overall.
Air pollution is, however, a global problem. Cities in Bangladesh, Cameroon, China, Iran, Pakistan and Saudi Arabia make up the rest of the top 20, while London, Paris and other major cities face growing problems.
Featured in Time Magazine’s ‘100 Most Influential People’ 2017 List, Vijay launched Paytm Payments Bank in 2017. As India’s largest digital bank, it aims to provide banking and financial services to 500 million un-served and under-served Indians.
Vijay identified three major opportunities for action on air quality during his designation at the UN Environment Assembly, which brings together over 2,000 heads of state, ministers, business leaders, UN officials and civil society representatives in Nairobi to tackle the global menace of pollution.
Electric vehicles and making people more aware of the problem and its solutions are high on his radar, but he sees better measurement of India’s air quality as an important first step over the next 12-18 months.
With his appointment, Mr. Sharma joins Patron of the Oceans Lewis Pugh and Wilderness Patron Ben Fogle.
“Tackling pollution requires all of us, citizens, governance and business to come together. We need more champions in the private sector like Mr. Sharma to drive innovation that will get us to a cleaner future,” said Erik Solheim, head of UN Environment.
For more information, please contact:
Rajiv Chandran, UN Information Centre, New Delhi, +91-11 46532242, unic.india@unic.org
Rob Few, Head of News and Media, UN Environment, +254 715 618 081, robert.few@unep.org
NOTES TO EDITORS
For more information on the assembly, and the many events taking place, visit the website
Find out more about the #BreatheLife campaign by clicking on the hashtag
Download pictures of Vijay’s designation ceremony here

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